मैं हूँ होली,
कहिये मेरे संग रंगों की बोली.
प्राकृतिक रंग करो इस्तमाल,
वर्ना हो जाएगा बुरा हाल.
पानी का करो कम यूज़,
हालत हो जाएगी वर्ना लूज़.
खुशियों का त्योहार हूँ मैं,
इसमें ग्रीज़ और पक्के रंगों का काम क्या हैं??
अन्विता भटिआ
छठी-अ
बाल भारती पब्लिक स्कूल, ग़ाज़ियाबाद