माँ.....तू कहाँ?
माँ के बारे में सोच के आखें नम हो जाती हैं,
कितनी खुशियाँ आखिर यह माँ जो लाती है..........
तेरे चरणों की धूल को प्रसाद समझ बैठी हूँ.
आसरा बस तेरे प्यार का चाहिए ,
मेरी माँ मुझे तेरी दुआ चाहिए......
कौन बताएगा मुझे?
कौन सिखाएगा मुझे?
दुनियाँ की बुरी नज़रो से बचाएगा मुझे?
अभी भी तेरी चुन्नी को पास में रखकर रोती हूँ,
जिस पल तुम्हे खोया उस मनहूस पल को कोसती हूँ.....
माँ, इतनी छोटी उम्र में मुझे अकेला क्यों छोड़ दिया?
भगवान ने मुझसे पिछले जनम का क्या कोई बदला लिया ?
तेरी दीवार पर टँगी तेरी तस्वीर मुझे खूब रुलाए,
रास्ते पर चलती हर माँ को देखकर मुझे तेरी याद आजाए.......तेरी याद आजाए..........तेरी याद आजाए..........
-अन्विता भटिआ